Latest Shayari in Hindi | हिंदी में शायरी
लो फिर रोज की तरह सूरज ढलने
लगा चाँदनी के लिए, ,,
चाहत की अजीब दास्तान सुनाने के लिए,
खुद अंधेरों में छिप जाता है फकत चाँद
को रोशन करने के लिए ।
लो फिर रोज की तरह सूरज ढलने
लगा चाँदनी के लिए, ,,
चाहत की अजीब दास्तान सुनाने के लिए,
खुद अंधेरों में छिप जाता है फकत चाँद
को रोशन करने के लिए ।
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