Wednesday, January 14, 2015

Hindi poem on life, humour in life, zindagi.

A nice Hindi poem on life, humour in life, zindagi.
रुई का गद्दा बेच कर, मैंने इक दरी खरीद ली।
ख्वाहिशों को कुछ कम किया मैंने, और ख़ुशी खरीद ली ।
सबने ख़रीदा सोना, मैने इक सुई खरीद ली, सपनो को बुनने जितनी, डोरी ख़रीद ली ।
मेरी एक खवाहिश मुझसे, मेरे दोस्त ने खरीद ली, फिर उसकी हंसी से मैंने अपनी कुछ और ख़ुशी खरीद ली ।
इस ज़माने से सौदा कर, एक ज़िन्दगी खरीद ली, दिनों को बेचा और, शामें खरीद ली।
शौक-ए-ज़िन्दगी कमतर से, और कुछ कम किये, फ़िर सस्ते में ही, सुकून-ए-ज़िंदगी खरीद ली !

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